हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच आठ मई 2025 के बाद हुए सैन्य संघर्ष के बाद दस मई को दोनों पक्षों की ओर से सीजफायर की घोषणा कर दी गई। दस मई को पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर की घोषणा के बाद कुछ स्थानों पर ड्रोन से हमले करने और एलओसी तथा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सीजफायर के उल्लंघन की खबरें आईं, लेकिन भारत के चेतावनी के बाद अब फिलहाल सभी जगह शांति बनी हुई है।
हम बात करेंगे कि इस पूरे प्रकरण मे हिंदुस्तान और पाकिस्तान को क्या हासिल हुआ?
हम सभी को ज्ञात है कि पिछले महीने की 22 तारीख को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या आतंकवादियों ने धर्म पूछकर कर दी थी। इस हमले के बाद भारत सरकार ने कहा था कि वो आतंक के खिलाफ अपनी ज़ीरो टोलेरेन्स की नीति पर कायम रहेगी। और अपनी नीति पर कायम रहते हुए भारत ने पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर सहित पाकिस्तान के अन्य प्रांतों में कुल नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया, जिसमें तीन मुख्य आतंकियों सहित लगभग सौ आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि भारत सरकार ने की।
आतंकी ठिकानों को बर्बाद करने के बाद भारत ने साफ किया कि उसका हमला केवल और केवल आतंकी ठिकानों पर था और उसके किसी भी नागरिक या सैन्य ढाँचे को निशान नहीं बनाया है। बावजूद इसके आठ मई की रात से पाकिस्तानी सेना ने ड्रोन और मिसाइल से भारत की सेना और वायुसेना स्टेशन पर हमले शुरू कर दिए तथा साथ ही सीमा पर भी भारी गोली-बारी शुरू कर दी। भारत ने हरेक हमले का उचित जवाब दिया, जिसमें पाकिस्तान के कई एयर बेस, रडार, एयर डिफेन्स सिस्टम और फाइटर जेट को भारी नुकसान हुआ। इतने काम समय में इतना भारी नुकसान झेलने के बाद केवल तीन दिनों में ही पाकिस्तान ने विश्व समुदाय से भारत द्वारा जंग रोक देने की गुहार लगाना शुरू कर दिया। जब पाकिस्तान के डीजीएमओ ने अपने भारतीय समकक्ष को फोन किया तो भारत भी सीजफायर के लिए राजी हो गया।
भारत की स्थिति तो स्पष्ट है कि भारत की पाकिस्तान से न तो युद्ध और न ही किसी हमले की मंशा थी। आतंक के खिलाफ उसकी लड़ाई में जब पाकिस्तानी सेना सामने आ गई तब भारत ने उसका मुँहतोड़ जवाब दिया। इन सबके बीच पाकिस्तान को क्या हासिल हुआ?
जब भारत ने पाकिस्तान की जमीन पर आतंकी ठिकानों पर हमले किए तो पाकिस्तान के लिए यह उस कड़वे घूँट के बराबर हो गया जिसे न तो वो निगल सकता था और न ही उगल सकता था। पाकिस्तान अगर यह मान लेता कि भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया है तो पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जती तो होती ही, साथ ही यह संभावना भी थी कि वहाँ की सेना और पाकिस्तानी जनता वहाँ की सरकार का तख्ता पलट कर दे, जो कि पाकिस्तान के लिए कोई नई बात नहीं होती। इसलिए पाकिस्तान ने यह कहा कि भारत ने उसके मासूम नागरिकों को मारा है और वह भारत के खिलाफ सैन्य कार्रवाही करेगा।
उसने जब अपनी तरफ से सैन्य कार्रवाही शुरू की तो भारत की तरफ से जावबी हमले में उसे काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। युद्ध जितना लंबा चलता पाकिस्तान का नुकसान उतना ही बढ़ता रहता और शायद पाकिस्तानी एयर डिफेन्स सिस्टम का अस्तित्व ही समाप्त हो सकता था। इसलिए पाकिस्तान ने तुरंत सीजफायर की गुहार लगा दी। भारत, जिसने शुरू से ही यह स्पष्ट किया था कि उसकी पाकिस्तान से कोई लड़ाई नहीं है, भारत की लड़ाई बस आतांवाद से है, उसने भी सीजफायर की बात मान ली।
पाकिस्तान अगर जबरदस्ती युद्ध में कूदने के बाद इतने व्यापक स्तर पर हुए नुकसान को सार्वजनिक कर देता तो एक बार फिर से उसकी किरकिरी होती इसलिए इस बार उसने प्रॉपगेंडा वार का इस्तेमाल किया। उसने कई गलत सूचनाएं जिसमें भारत के ब्रह्मोस, एस 400, रफाल जेट, कई एयरबेस के रनवे नष्ट करना शामिल था, पूरी दुनिया में फैलाने की कोशिश की। इसमें कुछ देशों ने उसका खुलकर साथ भी दिया, जिसमें चीन और तुर्की की सरकारी मीडिया का नाम सबसे आगे है। अपनी जनता को संतुष्ट करने के लिए पाकिस्तान ने अपने मिलिट्री ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन ‘बुनयान-उल-मसरूर’ दिया और सीजफायर के बाद वहाँ के प्रधानमंत्री ने इस युद्ध में भारत पर जीत का अपना झूठा दावा भी पेश किया। इतना ही नहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने दस मई को अब से हर साल इस दिन भारत पर कथित जीत के उपलक्ष्य में ‘यौम-ए-मर्का-ए-हक़’ के रूप में मनाने की घोषणा की।
दरअसल 1947 में दोनों देशों की आजादी के बाद हुए हरेक युद्ध में पराजित हुए पाकिस्तान के सर पर आज अस्तित्व का खतरा है। 1971 तो जैसे उसके सीने में ऐसे खंजर की तरह है जिसका दर्द कभी कम नहीं हो सकता। आजादी के बाद मिले तमाम घावों की टीस को पाकिस्तान इस तरह की आत्ममुग्धता से ही कम करने की कोशिश कर रहा रहा है। देश में महँगाई और बेरोजगारी अपने चरम पर है, ऐसे में वहाँ की जनता को इस तरह से झूठे नेरटिव फैला कर ही खुश रखा जा सकता है।
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