भारत में हिन्दुवाद का पुनः उदय
कुछ लोगों का मानना है कि पिछले कुछ
वर्षों में भारत में हिन्दुवाद का फिर से उदय हो रहा है. इस विषय पर हम लगातार सीक्वेंस
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इस कहानी में हम आज के डेट से पीछे
जाते हुए घटनाओं को समझेंगे. सबसे पहली घटना का जिक्र करते हुए हम 22 जनवरी 2024
की तारीख पर बात करते हैं. ये वो दिन था जब भारतियों की चिर प्रतीक्षित इच्छा पूरी
हुई. हालाँकि कुछ लोग मेरी इस बात से सहमत नहीं भी हो सकते हैं. उनका यह तर्क हो
सकता है कि भारतीय मुसलमान ऐसी प्रतीक्षा में कभी
नहीं थे. हो सकता है उनकी इस बात में सच्चाई हो लेकिन इस बात को भी नहीं
नकारा जा सकता है कि एक बहुत बड़ी भारतीय आबादी इस घडी की प्रतीक्षा कर रही थी.
भारत भूमि को सनातन भूमि कहा जाता है. और सनातनियों के सबसे बड़े आदर्श भगवान् श्री
राम का जन्म स्थल अयोध्या था. वहाँ भगवान राम का मंदिर भी था लेकिन 500 वर्ष पूर्व
कुछ आक्रान्ताओं ने उस मंदिर को तोड़कर वहाँ मस्जिद का निर्माण करवा दिया था.
ये वो दौर था जब अयोध्या ही नहीं
पूरे विश्व में हिन्दू मंदिर तोड़े जा रहे थे. भारत के अलावा यह वियतनाम कम्बोडिया
जैसे एशियाई देशों में भी हो रहा था. एक कहावत है न समय सबसे बलवान होता है और एक
और दूसरी कहावत यह है कि सत्य की जीत होती है. इन सबमें सबसे ज्यादा सटीक कहावत
यहाँ पर यह है कि भगवान् के घर देर है अंधेर नहीं है.
9 नवम्बर 2019 का वो दिन था जिस दिन सुप्रीम
कोर्ट ने यह निर्णय दिया था कि अयोध्या में विवादित भूमि पर राम मंदिर बनेगा.
अयोध्या में राम मंदिर बनवाना भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख लक्ष्यों में एक था
जिसमें न्यायपालिका ही सबसे बड़ी अड़चन नजर आ रही थी लेकिन इस माननीय सुप्रीम कोर्ट
के इस फैसले के बाद मंदिर बनने का रास्ता लगभग साफ़ हो गया था. लेकिन 9 नवम्बर 2019
और 22 जनवरी 2024 से पहले आपको एक और तारीख याद रखनी होगी. वो तारीख थी 6 दिसम्बर 1992.
आज जिस मंदिर के बनने पर हम जश्न मना
रहे हैं हो सकता है हममें से बहुत सारे लोगों का उस दिन जन्म भी न हुआ हो. लेकिन भारत
में हिन्दुवाद के पुनर्जागरण में वह तारीख तो हमें याद रखना ही होगा साथ ही उस
तारीख से जुड़े एक ऐसे व्यकित को भी सलाम करना होगा जो उस दिन अगर उत्तर प्रदेश के
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं होते तो आज शायद हम राम मंदिर नहीं देख पाते. वो थे
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह.
जब कार सेवक मस्जिद की गुम्बद पर चढ़
रहे तो उन्हें लगातार भारतीय गृह मंत्रालय से फोन आ रहा था और उनपर दबाव बनाया जा
रहा था कि कार सेवकों को मस्जिद की तरफ जाने से रोकें. उन्होंने कहा कि वो कार
सेवकों को रोकने के लिए जितने पुलिस बल हो सकते हैं लगा चुके हैं और इससे ज्यादा
वो कुछ नहीं कर सकते. उनके ऊपर दबाव बनाया गया कि वो कार सेवकों पर गोली चलवायें.
उन्होंने ऐसा करने से बिलकुल मना कर दिया . उन्होंने अपनी कुर्सी दाव पर लगा दी
थी. जब कार सेवक एक गुम्बद तोड़ चुके थे तब गृह मन्त्राल से फोन आया था कि आपको पता
है कार सेवक गुम्बद पर चढ़ चुके है. इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि आपको एक कदम
पीछे की जानकारी है कार सेवक एक गुम्बद भी तोड़ चुके है. कल्याण सिंह की सरकार
राष्ट्रपति द्वारा बर्खाश्त कर दी गयी.
उनका ध्येय साफ़ था कि भारत की इस
सनातनी भूमि पर राम की जन्मभूमि के राम मंदिर होना ही चाहिए. अभी कल्याण सिंह को
भारत रत्न देने की भी मांग बहुत जोरों पर है. भाजपा के कई विधायक और सांसद कल्याण
सिंह को भारत रत्न देने की मांग कर चुके हैं.
लेकिन 06 दिसम्बर 1992 को जो अयोध्या में हुआ उसे तो सभी जानते हैं हम
आपको उसके एक दिन पहले की बात बताते हैं. दिन 05 दिसम्बर 1992 स्थान लखनऊ, वहां
देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी भाषण दे रहे थे. उन्होंने अपने
भाषण में कहा था. “कार सेवा रुक नहीं सकती. यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश में है कि
कार सेवा हो सकती है. वहाँ भजन कीर्तन होगा. लेकिन उस स्थान पर नुकीले पत्थर निकले
हैं उन्हें समतल करना होगा. उसके बाद वहाँ यज्ञ का आयोजन होगा. नुकीले पत्थर को
समतल करने का तात्पर्य क्या था यह उन्होंने अपने भाषण में स्पष्ट नहीं किया था. लेकिन
उसके ठीक अगले दिन अयोध्या में जो हुआ उसका साक्षी पूरा विश्व बना और उसे हम
हिन्दू पुनर्जागरण की एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देख सकते हैं.
अटल बिहारी वाजपेयी जी का जिक्र इस
कड़ी में आगे भी आता रहेगा. 21 वीं सदी वास्तव में हिन्दुओं की और हिन्दुस्तानियों
की सदी होने वाली है. इसकी झलक आप देख सकते हैं कि देश विदेश में हिंदुस्तान का
नाम हो रहा है और हिन्दू मंदिरों का निर्माण जोरों पर है.
इस कड़ी को हम यूँ ही आगे बढ़ाते
रहेंगे लेकिन आप सबसे लाइक, कमेंट, शेयर और सब्सक्राइब की उम्मीद तो हम कर ही सकते
हैं. आप यूँ ही अपना प्यार बनाये रखिये. बहुत जल्द और अच्छी जानकारी के साथ मिलते हैं
अगले एपिसोड में.
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